छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार हुआ ये कारनामा, जानिए क्या हैं ’70 पार’ के सियासी मायने

रायपुर. छत्तीसगढ़ की खैरागढ़ विधानसभा से उपचुनाव जीतने वाली कांग्रेस की यशोदा वर्मा ने गुरुवार को शपथ ली. यशोदा ने छत्तीसगढ़ी भाषा में शपथ लेने के बाद कहा कि मैं छत्तीसगढ़ की बेटी हूं इसलिए इसी भाषा में शपथ ले रही हूं. बता दें कि खैरागढ़ विधानसभा में हाल ही में हुए उपचुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी यशोदा वर्मा ने 20 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी. यशोदा वर्मा को मिलाकर अब कांग्रेस के पास कुल विधायकों की संख्या 71 हो गई है.

यह पहली बार है जब छत्तीसगढ़ में किसी राजनीतिक दल के पास 71 विधायक रहे हों. इसको लेकर सीएम भूपेश बघेल ने भी खुशी जाहिर करते हुए हुंकार भरी है. भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में कोई भी पार्टी विधायकों की संख्या 71 तक पहुंचा पाई है. फिर चाहे वो दलबदलू ही क्यों ना रहे हों. साथ ही बघेल ने कहा कि 71 सीट जीत पाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है. 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस का 71 विधायकों का ही लक्ष्य होगा.

पहली बार 2003 में हुए थे चुनाव
बता दें कि साल 2000 में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश राज्य से अलग हुआ था. मप्र में 1998 में हुए चुनावों के बाद कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. मप्र में दिग्विजय सिंह मुख्यमंत्री बने थे. इसके बाद 2000 में छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद कांग्रेस नेता अजीत जोगी को सीएम बनाया गया था. साल 2003 में छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों पर पहली बार चुनाव हुए.

इन चुनावों में अजीत जोगी को हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में भाजपा ने कुल 50 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी. कांग्रेस को इस चुनाव में 37 सीटों से ही संतु्ष्ट करना पड़ा था. इसके साथ ही बीएसपी को दो सीटें और नेशनल कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को एक सीट भी आई थी. साल 2003 में हुए पहले विधानसभा चुनावों में जीत के बाद डॉ. रमन सिंह छत्तीसगढ़ के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री बने.

2008 में भी भाजपा का जलवा रहा कायम
छत्तीसगढ़ विधानसभा के दूसरे चुनावों में भी भाजपा का जलवा बरकरार रहा. यहां भाजपा ने 90 सीटों में से कुल 50 सीटें हासिल की. रमन सिंह को लगातार दूसरी बार छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी दी गई. इस चुनाव में कांग्रेस को 38 सीटें मिली थीं. भाजपा की जीत के बाद रमन सिंह लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री चुने गए.

2013 में फिर से भाजपा ने मारी बाजी
साल 2013 के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया और 49 सीटों पर जीत हासिल की. वहीं कांग्रेस को इस चुनाव में कुल 38 सीटों पर जीत मिली थी. इसके साथ ही इस चुनाव में बीएसपी को एक सीट और एक निर्दलीय प्रत्याशी को भी जीत मिली थी. इस चुनाव में बीजेपी को 41.04 फीसदी और कांग्रेस को 40.29 फीसदी मत प्राप्त हुए थे. इन चुनावों में जीत के बाद रमन सिंह को लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनाया गया था.

2018 में कांग्रेस ने दर्ज की बंपर जीत
बता दें कि लगातार तीन बार भाजपा का शासन देख रही छत्तीसगढ़ की जनता ने साल 2018 के विधानभा चुनावों में कांग्रेस पर जमकर प्यार लुटाया. इस चुनाव में कांग्रेस को रिकॉर्ड तोड़ 68 सीटों पर जीत मिली. वहीं 15 सालों तक सत्ता संभालने वाली भाजपा मात्र 15 सीटों पर ही सिमट गई थी. जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के खाते में 5 और बहुजन समाज पार्टी के खाते में 2 सीटें आईं थीं.

छत्तीसगढ़ में पहली बार किसी दल से 71 विधायक
बता दें कि गुरुवार को कांग्रेस की यशोदा वर्मा ने शपथ ली. यशोदा प्रदेश कांग्रेस में 71वीं विधायक बनीं. इस मौके पर सीएम बघेल उत्साह से भरे नजर आए. बघेल ने कहा कि यह पहली बार है कि छत्तीसगढ़ में किसी राजनीतिक दल के 71 विधायक रहे हों. दल-बदलुओं की गिनती भी की जाए तब भी यह आंकड़ा नहीं मिलता. साथ ही बघेल ने कहा कि 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों में हमारा 71 सीटें जीतने का ही लक्ष्य होगा. बता दें कि छत्तीसगढ़ में कुल 90 विधानसभा सीटें हैं.

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